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कानून-सम्मत कार्रवाई कर कसें अपराधियों पर सिकंजा

अनुसंधान करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:-
पुलिस को नए-नए साधन जुटाकर जहाँ अपराधियों की धरपकड़ के भिन्न-भिन्न तरीके ढूंढने पड़ रहे हैं, वहीं अपराधियों ने भी आधुनिक संसाधनों से बच निकलने के नए-नए तरीके ढूंढ निकाले हैं। एक और अपराधी जहां बचने की नीयत से बंदी प्रत्यक्षीकरण, न्यायालय की अवमानना जैसी झूठी याचिकाओं का सहारा लते हैँ, वहीं पुलिस पर मानवाधिकारों के खुले उल्लंघन का आरोप लगाकर कानून से बचने का प्रयास करते हैं। कई बार हिरासत में रखे अभियुक्त थाने के लोकअप में दरवाजे से सिर फोड़ कर, थाने के बाथरूम में पड़े ब्लेड इत्यादि से अपने को घायल कर, बाथरूम की खिड़की से फंदा लगाकर, रसोई से चाकू उठाकर अपना गला काटने के प्रयास इत्यादि की घटनाओं से पुलिस को परेशानी में डाल देते हैं। इस प्रकार के अनेक मामलों के चलते, घर में घुसकर मारपीट करना, औरतों के साथ बदसलूकी करना, चोरी आदि की अनेक शिकायतें पुलिसकर्मियों के विरूद्ध दबाव डालने के लिए आती ही रहती हैं।
कई बार आम जनता द्वारा मुल्जिम की थाने में पिटाई की जाने की फरमाइशें की जाती हैं और कहा जाता है कि जब तक पुलिस अच्छी तरह से बदमाशों की पिटाई नहीं करती, तब तक वे सुधरते नहीं। लेकिन गैर कानूनी फरमाइशों को नजर अन्दाज करते हुए अनुसंधान करते हुए निम्रांकित बातें ध्यान में रखी जानी चाहिएं :-
- माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिपादित दिशा-निर्देशों की पूर्ण पालना करें।
- गिरफ्तार करने से पूर्व तथा लोकअप में डालने से पूर्व मुल्जिम की बारीकी से तलाशी लेवें।
- न्यायालय के समक्ष पेश करने से पूर्व उसकी गतिविधियों पर पूर्ण ध्यान रखें, ताकि वह कोई ण्ेसा कार्य नहीं कर बैठे जो पुलिस को परेशानी में डाल देवे।
- बाहर से पिट कर आए मुल्जिम का मेडिकल चैकअप करावें व आवश्यकता हो तो अस्पताल में भर्ती कराकर उसे चिकित्सकीय सहायता दिलावें।
- थाने के बाथरूम इत्यादि साफ-सुुथरे रखें तथा वहां पर कोई ऐसी वस्तु नहीं हो जिससे मुल्जिम कोई गलत हरकत कर बैठे।
- मुल्जिम से सतत पूछताछ जारी रखें एवं शॉर्टकट के लिए यातना का सहारा नहीं लेवें। कहीं आपका शॉर्टकट आपको कोई लम्बा रास्ता नहीं दिखा देवे।
- अनुसंधान में कड़ी से कड़ी जोड़कर साक्ष्य एकत्रित करें ताकि मुल्जिम अपना अपराध स्वीकार करे।
- मुल्जिम यदि अपराध नहीं भी स्वीकार करे तो आपे साक्ष्य व कहानी इतनी स्पष्ट व सही होवें कि न्यायालय उन पर विश्वास करे तथा मुल्जिम बच नहीं सके।
- कई बार गवाह पक्षद्रोही हो जाते हैं। अत: ऐसे गवाह रखें जो लालचवश या मुल्जिम से रिश्तदारी के कारण पक्षद्रोही न होवें।
- आवश्यकतानुसार गवाह व साक्ष्य रखें। लम्बे-चौड़े गवाह व साक्ष्य मुकदमे को विरोधाभास के कारण कमजोर बना देते हैं।
- अंधेरे में तीर चलाने की भांति तफतीश को एक दिशा में ही लेकर नहीं चले बल्कि सभी विकल्पों पर विचार करें तथा जो विकल्प साक्ष्यों की कड़ी से कड़ी जोड़ता प्रतीत हो उसे शीघ्रता से आगे बढावें।
- पुराने समय में मुल्जिम (चोरी, नकबजनी, लूट इत्यादि के) स्थानीय या आस-पास के क्षेत्रों के होते थे। लेकिन आज तेज गति के वाहनों व मोबाइ्र्रल, इंटरनेट जैसे साधनों के कारण मुल्जिमों की क्षेत्र सीमा असीमित है। अत: किस प्रकार के साधन से वारदात की गई, यह पता चलने पर दूर-दूर के क्षेत्रों के अपराधियों की भी पतारसी (ङ्खद्धद्गह्म्द्गड्डड्ढशह्वह्लह्य), जैसे उनकी उपस्थिति, न्यायालय में पेशी पर आने का दिन, जेल से छूटने का समय, जेल में कौन-कौन व किस-किस गेंग से सम्बंधित अपराधी उसके साथ रहे इत्यादि मालूम करें।
आमतौर पर मुकदमों की असफलता निम्र कारणों से होती है:-
1. न्यायालय द्वारा बार-बार तामील हेतु भेजने के उपरांत भी गवाहों के सम्मन/वारंट तामील नहीं होने व गवाह न्यायालय में उपस्थित नहीं होने के कारण उनकी साक्ष्य बंद कर दिए जाने पर साक्ष्य के अभाव के कारण।
2. न्यायालय द्वारा साक्षीगण को तलबी के उपरांत भी किसी कारणवश निश्चित दिवस पर साक्ष्य नहीं होने पर उनकी मानसिकता बदल जाती है और अभियोजन के अनुकूल बयान नहीं देते।
3. साक्षीगण का पक्षद्रोही होना या गम्भीर प्रकृति के अपराधों में मुल्जिम द्वारा उनको धमकी दी जाकर बयान अपने पक्ष में करवाना।
4. अभियोजन पक्ष द्वारा अभियोग की सफलता के लिए दिलचस्पी नहीं लेना और साक्षीगण को उनके पूर्व कथनों से अवगत नहीं कराए जाने पर उनके द्वारा अभियोजन के हितबद्ध बयान नहीं दे पाना।
5. अभियोजन द्वारा समय पर वजह सबूत नयायालय में पेश नहीं किया जाना व इससे संबंधित समुचित जवाब पेश नहीं होने के कारण मुल्जिम पक्ष को लाभ का मिलना।
6. कमजोर अनुसंधान जिसमें साक्ष्यों की कड़ी से कड़ी नहीं जोड़ी जा सकी हो।
अत: अनुसंधान के सभी तकनाकी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए साक्ष्यों की कड़ी से कड़ी जोड़ कर आगे बढना होगा और कानून सम्मत कार्रवाई करते हुए अपराधियों को कानून के सिकंजे में कसना होगा।

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